इस पोस्ट में हम जानेंगे कि Graph: what is graph,type of graph,graph theory,ग्राफ क्या है,ग्राफ के प्रकार, ग्राफ के उपयोग,ग्राफ के जनक,charting technic कौन दिया पूरी जानकारी हिंदी में।
ग्राफ क्या है(what is graph)-
ग्राफ को हिंदी में आलेख या लेखा चित्र भी कहते हैं।ग्राफ 7 QC tools का महत्वपूर्ण भाग है जिसका उपयोग सांख्यिकी (Statistics) के क्षेत्र में मुख्य रूप से किया जाता है। ग्राफ सभी प्रकार के कार्य क्षेत्रों एवं घरों में उपयोग में आने वाला ऐसा माध्यम है जो हमारे काम को समझने में आसान करता है।
बहुत सारे आंकड़ों या अलग-अलग प्रकार के आंकड़ों को आसान तरीके से समझने के लिए आलेख बहुत ही अच्छा और आसान माध्यम है। इसके द्वारा हम कितने भी बड़े आंकड़े क्यों ना हो बहुत ही आसानी से समझ सकते हैं तथा विभिन्न प्रकार के आंकड़ों में संबंध को या उनके मध्य अंतर को समझने में आसानी होती है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं की
आंकड़ों के प्रवृत्ति के आधार पर इन्हें विभिन्न प्रकार के आलेख में प्रदर्शित करना चाहिए जिससे कि हमें सही तरीके से तथा सरल तरीके से समझने में आसानी हो। इसी के आधार पर आंकड़ों को विभिन्न भागो में वर्गीकृत किया गया है। अपनी जरूरत के आधार पर हम सही प्रकार के आलेख का चुनाव करते हैं।
Florence Nightingale आधुनिक नर्सिंग की प्रवर्तक है और उन्होंने मेडिकल क्षेत्र में इंप्रूवमेंट के लिए जानी जाती हैं। Florence Nightingale ने Charting technique दिया।
आंकड़ों के आधार पर हम विभिन्न प्रकार से ग्राफ को बना सकते हैं।
ग्राफ के प्रकार (Type of graph),graph के उपयोग-
ग्राफ की उपयोगिता के आधार पर दो प्रकार का होता है-
I) सामान्य उपयोग के graph-
ऐसे ग्राफ जिसका उपयोग सामान्य तरीके के कार्य में लिए जाते हैं। जिसका हमें आसानी से उपयोग होता हुआ दिखता है। जिस किसी क्षेत्र में भी ग्राफ की आवश्यकता होती है सामान्यत: इसी के अंतर्गत आने वाले ग्राम का उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत चार प्रकार के ग्राफ को रखा गया है-
१) रेखा आलेख (Line graph),
२) दंड आलेख (bar graph),
३) वृत्त आलेख (Pie graph),
४) चित्रात्मक आलेख (Pictorial graph).
यह चारों प्रकार के आलेख सामान्य उपयोग के अंतर्गत आते हैं। नीचे इसे विस्तृत रूप से समझेंगे।
II) विशेष उद्देश्य हेतु ग्राफ-
किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए विशेष प्रकार के आलेख(graph) बनाने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के ग्राफ में आसानी से हम अपनी जरूरतें पूरी कर सकते हैं। इस प्रकार के ग्राफ निम्न है-
१) क्षेत्र आलेख (strata graph),
२) फ्लोट आलेख (Float graph),
३) बेल्ट आलेख (belt graph)
४) पिरामिड आलेख (pyramid graph),
५) मिश्रित आलेख (compound graph),
६) जी आलेख (zee graph),
७) रडार आलेख (radar graph)
अब हम इन आलेखों को कैसे उपयोग में लाना है इसके बारे में समझेंगे तथा यह आलेख क्या है यह भी जानेंगे
१) रेखा आलेख (Line graph)-
यह सबसे अधिक उपयोग में आने वाला ग्राफ है। यह किसी भी क्षेत्र में उपयोग में किया जाने वाला सबसे आसान ग्राफ है। इसे बनाना भी बहुत आसान है। इसमें एकत्र किए गए आंकड़ों को ग्राफ में एक्स-अक्ष और वाई-अक्ष के आधार पर पहले बिंदुवार अंकित करते हैं। इसके बाद इन बिंदुओं को मिलाते हैं। जिससे एक रेखा (line) प्राप्त होती है इसलिए इसे रेखा आलेख या लाइन ग्राफ कहते हैं। यदि हमें दो वर्गों के आंकड़ों में तुलना करना है तो दोनों आंकड़ों का अलग अलग लाइन एक ही ग्राफ में अंकित करेंगे जिससे दोनों में तुलना करने में बहुत आसानी होगी।(Fig.2)
![]() |
(Fig.2 ) |
२) दंड आलेख (bar graph)-
बार ग्राफ आंकड़ों को प्रदर्शित करने का एक आसान माध्यम है। इसमें दंड को एक्स और वाई अक्ष के सापेक्ष दर्शाया जाता है जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है। इसे बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक दंड (बार) की चौड़ाई समान हो तथा इनके बीच का अंतर भी समान हो। इसे ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज दोनों तरह का बनाते हैं।
जब बार की संख्या इतनी अधिक हो कि इसे ऊर्ध्वाधर रूप में प्रदर्शित करना संभव ना हो तब हम क्षैतिज बार का प्रयोग करते हैं।(Fig.3 )
![]() |
३) वृत्त आलेख (Pie graph)-
इसे circle ग्राफ, pie चार्ट भी कहते हैं। इसका आकार वृत्तीय होता है। जैसा कि वृत्त के केंद्र बिंदु पर कोण 360° होता है। इन्हें अलग-अलग विभिन्न भागों में एक-एक त्रिज्या खींचकर बांटा जा सकता है। इसी प्रकार विभिन्न अवयव को या भागों को एक दूसरे से कितना संबंध है दर्शाने के लिए इस ग्राफ का उपयोग करते हैं।(Fig.4 )
![]() |
(Fig.4) Pie graph |
४) चित्रात्मक आलेख (Pictorial graph)-
इस प्रकार के ग्राफ में जिस संदर्भ में ग्राफ बनता है उसके चित्रों को प्रदर्शित किया जाता है। जैसा कि नीचे ग्राफ में दर्शाया गया है।(Fig.5 )
![]() |
(Fig.5) |
५)क्षेत्र आलेख (strata graph) -
इसे
इसे बनाने के लिए प्रत्येक component के आंकड़ों को एकत्र किया जाता है। आंकड़ों को अवरोही क्रम में जमा कर उसका संचयी (cumulative) तैयार करते हैं। अब प्रत्येक अवयव के cumulative को ग्राफ में अंकित करके लाइन ग्राफ तैयार करते हैं। जिससे एक trend प्राप्त किया जाता है तथा अब हमें नीचे दिए गए चित्र की भांति ग्राफ प्राप्त होता है। इसमें प्रत्येक हिस्से को चिन्हित किया जाता है।(Fig.6 )
![]() |
(Fig.6 ) |
६) फ्लोट आलेख (Float graph) -
यह विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाया जाने वाला एक ग्राफ है जिसमें दो अलग पहलुओं को तुलना करना आसान हो जाता है। इस ग्राफ का उपयोग शेयर बाजार में शेयर के उतार-चढ़ाव को देखने के लिए किया जाता है।(Fig.7 )
![]() |
(Fig.7 ) |
७) बेल्ट आलेख (belt graph) -
यह एक प्रकार का बार ग्राफ है। इसमें प्रत्येक बार अपने आप में पाई ग्राफ की तरह जानकारी देता है। यह ग्राफ क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों तरीके से बनता है। यह ग्राफ प्रतिशत (percentage) और मात्रा (quantity) दोनों के आधार पर बनता है। यह ग्राफ तुलना के लिए उपयोगी है।(Fig.8 )
![]() |
(Fig.8)Belt graph |
८) पिरामिड आलेख (pyramid graph) -
पिरामिड ग्राफ 3 या 3 से अधिक स्वतंत्र वेरिएबल जो एक दूसरे पर निर्भर नहीं करते उनका तुलनात्मक अध्ययन के लिए बनने वाला ग्राफ है।(Fig.9)
![]() |
(Fig.9) Pyramid graph |
९) मिश्रित आलेख (compound graph)-
कंपाउंड ग्राफ दो ग्राफ का मिश्रण रहता है। जैसे कि परेटो डायग्राम में बार ग्राफ और लाइन ग्राफ एक साथ होते हैं, यह एक कंपाउंड ग्राफ है। इस ग्राफ का उपयोग परेटो डायग्राम बनाने के लिए किया जाता है।(Fig.10)
![]() |
(Fig.10) |
१०) जी आलेख (zee graph) -
इस प्रकार के ग्राफ में 3 तरह के आंकड़े लिए जाते हैं। इसमें मासिक आंकड़े, उनका cumulative तथा पिछले 12 महीने का cumulative लिए जाते तथा इन्हें ग्राफ में अंकित करने पर Z आकार का वक्र (curve) प्राप्त होता है। इस ग्राफ में जिस महीने के आंकड़ों को समझना रहता है उसे आसानी से पता कर लेते हैं।(Fig.11)
![]() |
(Fig.11) Zee graph |
११) रडार आलेख (radar graph) -
इस ग्राफ को हम आसान से उदाहरण से समझेंगे। जैसे कि किसी स्कूल में अलग-अलग विषयों पर सेमिनार का आयोजन होता है। आयोजन के पहले जब टेस्ट लिया जाता है तब प्रत्येक विषय में विद्यार्थियों को कितना प्रतिशत अंक प्राप्त हुए उसे ग्राफ में अंकित करते हैं। सेमिनार के बाद फिर से टेस्ट लिया जाता है । अब प्राप्त अंकों को उसी ग्राफ में अंकित करते हैं। इससे पता चलता है कि कौन से विषय में सुधार की आवश्यकता है। इसे समझने के लिए नीचे ग्राफ दर्शाया गया है।(Fig.12)
![]() |
(Fig.12)Radar graph |
हम लोगों ने ग्राफ के बारे में जो पढ़ा है वह सामान्य तरीके से एवं अधिकतम जगहों पर उपयोग में आने वाले ग्राफ है। वैसे तो ग्राफ के प्रकार की संख्या बहुत सारी है। जिसका उपयोग बहुत कम जगह पर और विशेष उद्देश्य हेतु होता है।
इस प्रकार हम ग्राफ को समझते हैं तथा हम लोगों ने "what is graph,type of graph,graph theory,ग्राफ क्या है,ग्राफ के प्रकार, ग्राफ के उपयोग,ग्राफ के जनक,charting technic कौन दिया" इसे समझा।
आपको यह जानकारी कैसी लगी इस बारे में अपने सुझाव नीचे जरूर कमेंट करें।
2 Comments
सरलता के साथ ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteThanks Lokeshnaji
ReplyDelete