Pareto diagram kya hai in hindi, pareto chart और 80-20 Rule Kya hai, what is Pareto diagram, pareto principle, Compound graph, pareto country, cumulative frequency (cumulative percentage)

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इस पोस्ट में हम Pareto diagram:Pareto diagram in hindi, pareto chart और 80-20 Rule Kya hai, what is Pareto diagram, pareto principle, Compound graph, cumulative frequency (cumulative percentage), pareto country इसकी पूरी जानकारी हिंदी में समझेंगे। यह 7 QC Tool का एक महत्वपूर्ण tool है।


Pareto diagram,pareto principle,pareto chart, Kya hai ?

       इटली (Pareto country) के अर्थशास्त्री vilfredo pareto ने 1906 में अपने अध्ययन (pareto principle) में  पाया कि अपने देश इटली में संपत्ति का 80% भाग 20% लोगों के पास है अर्थात् देश की संपत्ति का 80% भाग मात्र 20% लोगों के पास है तथा 80% जनता के पास देश का मात्र 20% धन ही है। इसलिए कहां जा सकता है कि देश में गरीबों की संख्या 80% तथा अमीरों की संख्या मात्र 20% है।

                             Vilfredo Pareto

         1907 में अमेरिकी अर्थशास्त्री M. G. Larenz ने इसे एक curve में प्रदर्शित किया। इस curve को lourenz curve कहते हैं।
           बाद में डॉ. जुरान ने पाया कि बहुत सारे खराब उत्पादन का कारण कुछ थोड़े से ही त्रुटियां हैं। जब डॉक्टर जुरान जनरल मोटर कंपनी में कंसलटेंट के तौर पर कार्य कर रहे थे तब वहां Mr. Merk Hale ने उन्हें बताया कि वहां के अधिकारियों का वेतन 80/20 Rule के अनुरूप है। Dr Juran ने सर्वप्रथम vital few और useful many को और इसी के साथ Lorenz Curve को उपयोग किया तथा इस प्रकार Dr Juran ने bar-graph और line-graph को मिलाकर एक डायग्राम बनाया। इसका नाम Vilfredo Pareto  के नाम पर "Pareto Diagram" रखा। इसे "pareto chart", "Pareto graph" भी कहते हैं।

                   QC guru-  Joseph M. Juran

80-20 Rule Kya hai? Vital few और Useful many क्या है-

          80/20 Rule का मतलब यह है 80% जो खराबी है उसके मुख्य कारण मात्र 20% ही है इन्हीं 20% कारणों का पता लगाने के लिए हम 80-20 Rule का उपयोग करते हैं इसमें जो मुख्य कारण 20 प्रतिशत है उसे Vital few कहते हैं तथा शेष बचे कारणों को Useful many कहते हैं। तीन मुख्य 20% कारणों को हल करने से समस्या के अधिकतम भाग का समाधान हो जाता है। 80-20 Rule का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।

 Pareto chart का उपयोग कहां करें -
 
           किसी भी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए हमें एक नियम का अनुसरण करना पड़ता है इसी के तहत बहुत सारे क्षेत्रों में जैसे कि उद्योगों, हॉस्पिटल, स्कूल, रेलवे आदि में उत्पादन या किसी भी तरह की समस्या से निजात पाने के लिए सांख्यिकी में विभन्न प्रकार के टूल्स उपलब्ध हैं। जिसको अनुसरण करने से विभिन्न प्रकार के समस्याओं से निजात मिलती है। इसमें अलग-अलग प्रकार के tools और तकनीक का उपयोग किया जाता है। इनमें पैरेटो डायग्राम एक महत्वपूर्ण टूल है जोकि समस्या को हल करने के लिए उपयोगी है। इसमें समस्या के अलग-अलग कारणों में से कौन से मुख्य कारण है जिस पर काम किया जाए तो समस्या का समाधान होगा इस बात का पता चलता है। इसमें Vital few और Useful Many के आधार पर Vital few कारणों को प्राथमिकता के आधार पर समाधान करते हैं जिससे समस्या का अधिकतम भाग solve हो जाता है।
           Pareto chart analysis के लिए आंकड़ों का होना आवश्यक है, यह एकत्र किये गए आंकड़ों से ही बनता है। यदि आंकड़े सही नहीं हैं तो सही analysis नहीं होता है। एकत्र किए गए आंकड़ों से यह कैसे बनता है इसे हम आगे जानेंगे।

COMPOUND GRAPH-

            पैरेटो डायग्राम एक ऐसी तकनीक है जिसमें आंकड़ों को उनके महत्व और प्रभाव के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है तथा उसे समस्या के समाधान के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें BAR और LINE Graph का एक साथ उपयोग होता है इसलिए इसे compound graph कहते है।
Problem चुनने के लिए vital few को useful many से अलग किया जाता है।
* Useful many को पहले Trivial many कहते थे।

Pareto diagram का उपयोग कैसे करें-

         pareto diagram का उपयोग बहुत ही आसान तरीके से किया जा सकता है। यह बहुत ही आसान TOOL है। सर्वप्रथम हम समस्या के विभिन्न कारणों से संबंधित आंकड़े एकत्र करते हैं ।आंकड़ों को एकत्र करने के पश्चात व्यवस्थित तरीके से क्रम में व्यवस्थित करते हैं। समस्या के कारणों में से जिन कारणों का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है जो हमें प्राप्त आंकड़े से पता चलते हैं उनको सबसे पहले रखा जाता है और इसी क्रम में सबसे कम प्रभाव वाले कारण को सबसे नीचे रखते हैं अर्थात् आंकड़ों को अवरोही क्रम में रखा जाता है। प्राप्त किए गए आंकड़ों से cumulative percentage निकालते हैं। अब इन आंकड़ों को अवरोही क्रम में बार ग्राफ के रूप में प्रदर्शित किया जाता है और जो हमें Cumulative percentage प्राप्त हुआ उसे line graph के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इस लाइन ग्राफ को ही Lorenz curve कहते हैं। इस प्रकार हमें complete Pareto graph प्राप्त होता है।

PARETO GRAPH कैसे बनाएं?

         इसे बनाने के लिए कारणों से संबंधित आंकड़ों और उसके cumulative परसेंटेज की आवश्यकता होती है। Pareto graph में एक X-अक्ष और दो Y-अक्ष लिये जाते हैं। बाएं तरफ के y- अक्ष में Quantity और दाएं y-अक्ष में परसेंटेज रहता है X-अक्ष में defect को रखा जाता है।

       अब हम सबसे पहले बार ग्राफ तैयार करते हैं इसके लिए सर्वप्रथम x-अक्ष के डिफेक्ट और y-अक्ष के क्वांटिटी के आधार पर बार ग्राफ तैयार करते हैं। अब y-अक्ष में cumulative परसेंटेज को लेकर एक लाइन ग्राफ तैयार करते हैं। इस तरह से हमें पता चलता है की line graph मैं एक निश्चित बिंदु के बाद लाइन में एक मोड़ आता है। उस पॉइंट के लंबवत एक सीधी रेखा खींचते हैं।

         अब हम देखते हैं की पॉइंट के बायां हिस्सा vital few हिस्से को दिखाता है जो कि किसी भी समस्या के मुख्य कारणों को दर्शाता है हमें सबसे पहले इन्हीं vital few पर काम करना रहता है और दाएं हिस्से में प्राप्त हिस्से को useful many कहते हैं। Dr Juran के अनुसार इन्हीं vital few को सॉल्व करने पर हमारी समस्या का अधिकांश भाग का समाधान हो जाता है useful many में बचे कारणों का validation करते हैं तथा उसके लिए अलग से एक्शन प्लान बनाते हैं अक्सर पाया जाता है की vital few कारणों का समाधान करने पर useful many में उपस्थित बहुत सारे कारणों का ऐसे ही समाधान हो जाता है क्योंकि बहुत सारे कारण Vital few में निर्भर करते हैं इस तरह से हमारी समस्या का लगभग पूरी तरह से निदान हो जाता है।

          इस प्रकार हम देखते हैं कि परेटो डायग्राम हमारे समस्याओं के समाधान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण tool है जोकि हमें सबसे महत्वपूर्ण समस्या के कारणों को के बारे में अवगत कराता है जिसे हम आसानी से प्राप्त कर उसका समाधान ढूंढ लेते हैं।
               अब हम चित्र के माध्यम से समझेंगे की Pareto diagram किस तरह से बनाया जाता है। इस तरह से आप सभी को परेटो डायग्राम समझने में बहुत आसानी होगी और दिए गए निर्देश के अनुसार यदि आप इसका अनुसरण करें तो निश्चित ही सही तरीके से परेटो डायग्राम बना सकते हैं वह भी बहुत ही आसानी से। इसका एक दो बार खुद से अभ्यास जरूर करें ताकि इसे ना भूल पाए। वैसे तो परेटो डायग्राम में अगर सही तरीके से डाटा कलेक्शन नहीं हुआ है तो पैरिटो डायग्राम गलत तरीके से ही बनता है। भले ही इसका cumulative percentage हम डाटा के आधार पर निकाल लेते हैं क्योंकि अगर कारणों का सही तरह के तरीके से Stratification नहीं हुआ है तो हो सकता है कि मुख्य कारण ही आपके आंकड़े में छूट जाएं इसके अलावा यदि आंकड़े सही तरीके से एकत्र नहीं किया गया है तो समस्या पर कारणों का कितना प्रभाव पड़ रहा है उसको समझ पाना मुश्किल होगा और जब हम उसे ग्राफ में बनाएंगे तो vital few और Useful many को पहचान पाना मुश्किल होगा और हमारा परेटो डायग्राम पूरी तरह गलत हो जाएगा इसे किस तरह से बहुत सही बनाएं इसके बारे में नीचे चर्चा करेंगे पहले तो हम यह सीख लेते हैं कि लिए गए आप स्ट्रेटिफाइड कारणों या डिफेक्ट के आंकड़ों का cumulative परसेंट कैसे निकालते हैं तथा उसे ग्राफ में किस तरीके से उपयोग किया जाता है।

Cumulative percentage (cumulative frequency) कैसे निकाले -


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           Cumulative percentage या cumulative frequency निकालने के लिए एक टेबल तैयार करते हैं जिसमें पहले कॉलम में डिफेक्ट या कारणों को लिखा जाता है तथा उसके सामने दूसरे collum में उसकी क्वांटिटी को घटते क्रम में लिखा जाता है तथा नीचे उसका कुल योग करते हैं अब अगले collum में प्रत्येक आंकड़ों के सामने कुल योग का आंकड़ा कितना परसेंट है यह लिखा जाता है। इसके लिए प्रत्येक आंकड़ों को कुल योग से भाग देकर उसका परसेंट ज्ञात करते हैं। इस प्रकार हमें प्रत्येक आंकड़े कुल योग का कितना पर्सेंट है पता चल जाता है और अंत में इससे इसका भी कुल योग किया जाता है जो कि 100 होता है यदि 100 नहीं हुआ इसका मतलब यह है कि परसेंट सही तरीके से नहीं निकाला गया है इसलिए परसेंट निकालने के लिए नीचे दिए गए फार्मूले का उपयोग करें
           परसेंट = (एक आंकड़ा)×100/कुल योग

उदाहरण, उपर दिए गए आंकड़े से (table में देखें)

     पहले आंकड़े का परसेंट = (130.2×100)/280 = 46.5%

इसी प्रकार बाकी आंकड़ों का भी पर से निकालना है फिर कुल योग करके देखेंगे तो हमें कुल योग 100 प्राप्त होगा इसका मतलब यह है कि हमारा कैलकुलेशन बिल्कुल सही है।

 अब हम परसेंटेज वाले कॉलम में चलते हैं जिसके आधार पर उन आंकड़ों का cumulative percentage प्राप्त करते हैं इसे प्राप्त करने के लिए पहला आंकड़ा पहले row में तथा दूसरे में पहले और दूसरे का योग रहता तथा तथा तीसरे Row में पहले, दूसरे तथाा तीसरे row का योग रहता  हैैैै। इसी क्रम में आगे योग करते जाते हैं। आइए हम cumulative percentage को समझते हैं। Cumulative percentage वाले collum का

पहला row=46.5
दूसरा row=46.5+35.5=82
तीसरा row=82+5=87

इसी प्रकार हम आगे की गणना करते हैं।
 इस क्रम का अंतिम योग 100 होता है इसका मतलब यह है कि हमारी गणना बिल्कुल सही है। इस प्रकार हमें cumulative परसेंटेज प्राप्त होता है।
अब हम cumulative टेबल के आधार पर परेटो डायग्राम बनाएंगे। इसके लिए पहले एक्स-अक्ष में डिफेक्ट या कारणोंं को तथा बाये y-अक्ष मैं क्वांटिटी तथा दाएंं मैं परसेंटेज को रखते हैं।

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          अब टेबल के पहले कॉलम तथा दूसरे कॉलम में निर्दिष्ट क्वांटिटी के आधार पर बार ग्राफ तैयार करते  हैं। अब cumulative % के आधार पर लाइन ग्राफ तैयार करते हैं जैसाा कि चित्र में दिखाया गया है इस प्रकार हमें cumulative curve में 82%  के पास एक डिफ्लेक्शन प्राप्त होता है इस बिंदु के बाएं तरफ विटल फ़्यू तथा दाईं तरफ यूज़फुल मेनी प्राप्त होता है इस प्रकार ग्राफ से हमें आसानी से पता चलता है कि बैटल फ्यूल मेंं प्राप्त थोड़े से ही कारण समस्याा के बहुत से भाग को घेरा हुआ है अब हम विटल फ़्यू को हल करतेे हैं जिससे हमारी समस्या का 82% कारण का समाधान हो जाताा है तथा शेष बचे कारणों के लिए एक्शन प्लान तैयार करते हैं।
              इस प्रकार Pareto diagram बनाया जाता है।
Vital few कारणों को हल करने के पश्चात पुनः आंकड़ा एकत्र किया जाता है तथा प्राप्त आंकड़ों के आधार पर पुनः Pareto diagram बनाते हैं। अब इन दोनों Pareto diagram का comparative study करते हैं।
नोट-
           Pareto diagram computer की सामान्य जानकारी होने पर भी आसानी से बनाया का सकता है। 
          दोस्तों हम लोगों ने इस प्रकार "Pareto diagram,pareto chart और 80-20 Rule Kya hai, Pareto country,what is Pareto diagram" के बारे में समझा। साथ ही cumulative percentage और pareto diagram बनाना सीखा।

       उम्मीद है कि आप लोगों को ये जानकारी पसंद आई होगी। किसी भी प्रकार के doubt हो या कोई और जानकारी के लिए  comment जरूर करें साथ ही अपने सुझावों को भी comment करें।

Scatter diagram के लिए- क्लिक करें

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