इस पोस्ट में हम Scatter diagram: Scatter diagram in hindi, Scatter diagram Kya hai, Scatter diagram कैसे बनाते हैं, Scatter diagram analysis,Variable क्या है, Scatter Diagram correlation क्या है इसके बारे में पूरी जानकारी हिंदी में समझेंगे।
Scatter Diagram Kya hai -
Scatter diagram, 7 QC tools में से एक महत्वपूर्ण tool है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए उसके कारणों और प्रभाव को देखते हुए उसके आंकड़े एकत्र किये जाते हैं तथा उन आंकड़ों में हम यह देखते हैं कि वह कारण और प्रभाव को कितना अधिक प्रभावित कर रहा है। अब हम देखते हैं कि वास्तव में scatter Diagram क्या है तथा यह कैसे बनाया जाता है।
1950 के दशक में Quality Circle के जनक और संस्थापक (Father of Quality Circle) Dr. Kaoru Ishikawa ने Scatter diagram को दुनिया के सामने लाकर इसका उपयोग करना सिखाया।
Dr. K. Ishikawa
Scatter diagram कौन दिया-
इसके बारे में अगर देखे तो 1837 में Sir John Frederick William Herschel ने scatter diagram के उपयोग किए।
1950 के दशक में Quality Circle के जनक और संस्थापक (Father of Quality Circle) Dr. Kaoru Ishikawa ने Scatter diagram को दुनिया के सामने लाकर इसका उपयोग करना सिखाया।
Dr. K. Ishikawa
Scatter diagram in hindi दो वेरिएबल के बीच संबंध को ग्राफ में दिखाता है। यह संबंध दो कारणों के बीच या कारण और प्रभाव के बीच हो सकता है। इसके लिए कारण या प्रभाव के आंकड़े एकत्रित करना पड़ेगा तथा उसको एक ग्राफ पेपर में बिंदुवार अंकित करना पड़ेगा। इसके बाद हम आगे देखेंगे की संबंध किस प्रकार का है तथा यह संबंध कितना प्रभावशाली है।
आगे हम यह देखेंगे कि scatter diagram कैसे बनाते हैं तथा इनके बीच संबंध की प्रभावशीलता भी देखेंगे तथा हम इन संबंधों की गणना करके भी देखेंगे। यह भी देखेंगे कि इसे बनाने के लिए आंकड़े कैसे एकत्र करते हैं तथा कितने आंकड़ों की आवश्यकता होती है।
Scatter diagram कैसे बनाएं?
"Scatter diagram is a graphical representation of relationship between two variables".
Scatter diagram बनाने के लिए सबसे पहले हमें समझना होगा ग्राफ पेपर में x-अक्ष में कौन सा variable रखना है और y-अक्ष में कौन सा variable रखना है। और इन variable को क्या कहते हैं।
Scatter diagram में Variable क्या है -
Scatter diagram में दो variable होते हैं पहला कारण और दूसरा प्रभाव। कारण (cause) को independent variable कहते हैं इसे x-अक्ष में रखते हैं तथा प्रभाव (effect) को dependant variable कहते हैं इसे y-अक्ष में रखते हैं।
Scatter diagram में कितने आंकड़े(data) चाहिए -
Scatter diagram बनाने के लिए कम से कम 30 जोड़े कारण और प्रभाव के आंकड़ों की आवश्यकता होती है ताकि एक अच्छा स्केटर डायग्राम बन सके और उसे समझने में आसानी हो। कम आंकड़े होने पर diagram सही तरीके से नहीं समझ पाते तथा निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है। आंकड़ा निम्न प्रकार से लिया जाताा है। यह वेरिएबल समझने के लिए है -
इस प्रकार एकत्र किये गए आंकड़े के आधार पर हम स्कैटर डायग्राम बनाते हैं। जैसा कि पहले ही बताया गया है कि 30 जोड़ी आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इसका ध्यान जरूर रखें।
आगे हम यह देखेंगे कि Scatter diagram में कौन-कौन से प्रकार का संबंध बनता है तथा यह क्या दर्शाता है।
Table No.1
इस प्रकार एकत्र किये गए आंकड़े के आधार पर हम स्कैटर डायग्राम बनाते हैं। जैसा कि पहले ही बताया गया है कि 30 जोड़ी आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इसका ध्यान जरूर रखें।
आगे हम यह देखेंगे कि Scatter diagram में कौन-कौन से प्रकार का संबंध बनता है तथा यह क्या दर्शाता है।
Scatter diagram में दो variable में संबंध (correlation between two variables) -
Scatter diagram x-अक्ष में कारण को तथा y-अक्ष में प्रभाव को रखते हैं। जब हम आंकड़ों को रखते हैं तो हमें निम्न प्रकार के सम्बन्ध (correlation) प्राप्त होते हैं-
इस प्रकार का संबंध positive correlation कहलाता है इसमें जैसे-जैसे एक वेरिएबल बढ़ता है वैसे वैसे दूसरा वेरिएबल भी बढ़ते जाता है। इस प्रकार दोनों का संबंध बहुत मजबूत होता है तथा एक दूसरे पर बहुत ही प्रभावी होता है।(Fig.1)
Fig.2 Negative correlation
इस प्रकार का संबंध negative correlation दर्शाता है यह दर्शाता है कि एक वेरिएबल के बढ़ने से दूसरे वेरिएबल का प्रभाव कम हो रहा है। इसका मतलब यह है कि दोनों वेरिएबल एक दूसरे के विपरीत कार्य कर रहे हैं।(Fig.2)
Fig.3 Positive correlation up to some
level than negative
इस प्रकार का संबंध एक स्तर तक पॉजिटिव होता है तथा निश्चित पॉइंट के बाद यह विपरीत प्रवृत्ति का होने लग जाता है मतलब negative होने लगता है। इस प्रकार के रिलेशन को हम देख कर यह जानकारी एकत्र कर लेते हैं की कारण और प्रभाव के आधार पर क्या निर्णय लेना है।(Fig.3)
इस प्रकार का संबंध एक स्तर तक नेगेटिव होता है तथा एक निश्चित पॉइंट के बाद यह पॉजिटिव स्थिति निर्मित करता है चित्र को देखकर भी हम समझ सकते हैं की दोनों variable एक दूसरे पर कितना निर्भर करते हैं।(Fig.4)
Fig.4 Negative correlation up to some
level than positive
इस प्रकार का संबंध एक स्तर तक नेगेटिव होता है तथा एक निश्चित पॉइंट के बाद यह पॉजिटिव स्थिति निर्मित करता है चित्र को देखकर भी हम समझ सकते हैं की दोनों variable एक दूसरे पर कितना निर्भर करते हैं।(Fig.4)
इस प्रकार का रिलेशन या संबंध यह दर्शाता है कि दोनों वेरिएबल में किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है। इसे No correlation कहते हैं क्योंकि इसमें बिंदु विभिन्न जगहों पर अलग-अलग हैं तथा इसमें यह समझ नहीं आ रहा है कि यह अच्छा प्रभाव दर्शाएगा या बुरा प्रभाव। ऐसे graph को देखकर हम कोई भी निर्णय नहीं ले पाते हैं। इसका मतलब यही है कि दोनों वेरिएबल में कोई संबंध नहीं है। दोनों एक दूसरे से पूरी तरह अलग है।(Fig.5)
उदाहरण - इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं की बाजार में यदि दाल का मूल्य बढ़ रहा है तो क्या सब्जियों का भी मूल्य बढ़ेगा या कम होगा इसी प्रकार यदि दाल का मूल्य कम होने से क्या सब्जियों का मूल्य भी कम होगा या ज्यादा होगा। आसानी से समझा जा सकता है कि दोनों में कोई भी संबंध नहीं है।
Fig.6 Possibility of positive
correlation
इस प्रकार का संबंध यह दर्शाता है कि इसमें positive correlation होने की संभावना है क्योंकि इसमें बिंदुएं थोड़ी फैली हुई है लेकिन संभावना और पॉजिटिव होने की है।(Fig.6)
Fig.7 Possibility of positive
correlation
Scatter diagram का उपयोग कहा नहीं कर सकते-
Scatter diagram का उपयोग निम्न जगहों मे नहीं किया जा सकता है-१) स्कैटर डायग्राम बनाना है तो दो variable की आवश्यकता होती है इससे कम या ज्यादा वेरिएबल में स्कैटर डायग्राम नहीं बनता है।
२) इसे बनाने के लिए 30 जोड़े आंकड़ों की आवश्यकता होती है आंकड़े कम होने पर आंकड़ों का सही संबंध पता नहीं चलता।
३) आंकड़ों को सही तरीके से एकत्र नहीं करने पर संयुक्त स्कैटर डायग्राम नहीं बन पाता है।
४) इसे ऑनलाइन उपयोग नहीं किया जा सकता।
इस प्रकार हमें पता चलता है कि एक variable दूसरे variable पर कितना dependant है तथा एक के परिवर्तन होने पर दूसरे पर कितना प्रभाव पड़ता है। साथ ही हमने यह भी जाना की दोनों variable में कोई संबंध है कि नहीं है।
दोस्तों इस पोस्ट में हम लोगों ने जाना कि "Scatter diagram Kya hai, Scatter diagram कैसे बनाते हैं, Scatter diagram analysis,Variable क्या है, scatter Diagram correlation क्या है।" आप लोगों को यह जानकारी कैसी लगी कमेंट जरूर करें। इससे संबंधित और किसी जानकारी के लिए नीचे कमेंट जरुर करें।
Pareto diagram के लिए - क्लिक करें
3 Comments
Good one
ReplyDeleteThanks Shailesh ji
DeleteBahut Kuch sikhane ko Mila thanks
ReplyDelete